Women’s Day History | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2018: सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ते कदम
आधी दुनिया को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है ।
जगत जननी नारी के सम्मान में पूरी दुनिया के लोग इस दिन धर्म, जाति, रंग-रूप और राष्ट्रों के बंधन को तोड़कर महिलाओं के अधिकार की पुरजोर वकालत करते हैं । इस दिन को मनाने में पुरुष भी महिलाओं के साथ कदमताल मिलाने में पीछे नहीं हैं ।
यह कहना गलत नहीं होगा कि महिलाओं के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण दुनिया भर में महिलाओं की दशा में सुधार हुआ है परन्तु अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना बाकी है ।
पश्चिमी देशों में तो महिलाएं पुरुषों की बराबरी में काफी हद तक खड़ी हो चुकी हैं परन्तु एशिया, खासकर दक्षिणी एशिया, अफ्रीका और मध्य-पूर्व के देशों में महिलाएं अभी भी दोयम दर्जे की जिन्दगी जीने को मजबूर हैं । हालाँकि पूरी दुनिया में महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता अभियान अब आन्दोलन का रूप लेता जा रहा है ।
बहरहाल इस विषय पर आगे बढ़ने से पहले हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत कहाँ से हुई और इसका इतिहास क्या है?
महिला दिवस का इतिहास (History of Women’s Day)
यूँ तो महिलाएं प्राचीन काल से ही अपने मूलभूत अधिकार और सम्मान के लिए संघर्ष करती रही हैं । उपलब्ध प्राचीन आलेखों के अनुसार फ्रांस की क्रांति के दौरान ग्रीस में लेसिस्त्राता नाम की एक महिला ने युद्ध की समाप्ति के लिए महिलाओं को एकजुट कर एक आंदोलन की शुरुआत की थी ।
इस आंदोलन की वजह युद्ध के दौरान महिलाओं पर बढ़ता अत्याचार था, इसी मुद्दे पर महिलाओं के एक समूह ने बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में एक मोर्चा निकाला । बाद के वर्षों में 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका द्वारा पहली बार पूरे अमेरिका में 28 फ़रवरी को महिला दिवस मनाया गया ।
यहीं से फ़रवरी के आखिरी रविवार को महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई ।
महिला दिवस का अन्तर्राष्ट्रीय स्वरुप
मूल रूप से वर्ष 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में महिला दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप दिया गया ।
फिर अगले वर्ष 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में लाखों महिलाओं द्वारा रैली निकाली गई । मताधिकार, सरकारी नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व और भेदभाव को ख़त्म करने जैसी कई मुद्दों की मांग को लेकर इस रैली का आयोजन किया गया था ।
8 मार्च कैसे हुआ महिला दिवस?
28 फरवरी से बदलकर 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की वजह ग्रगेरियन कैलेंडर है ।
28 फरवरी को महिला दिवस मनाने की परंपरा जूलियन कैलेंडर से शुरू हुई थी, परन्तु वर्ष 1917 में रूस में ज़ार के निरंकुश शासन के खिलाफ वहां की महिलाओं ने रोटी और कपड़े के लिए ऐतिहासिक आंदोलन शुरू किया था । परिणामस्वरूप ज़ार को सत्ता से हटना पड़ा था और उसके बाद वहां बनी अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया ।
जिस दिन यह घटना घटी उस दिन ग्रेगरियन कैलेंडर के अनुसार 8 मार्च था । दोनों कैलेंडर में कुछ दिनों का अंतर है, वर्तमान में रूस सहित पूरी दुनिया में ग्रेगरियन कैलेंडर ही प्रचलन में है । इसलिए अब प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है ।
वर्तमान में महिला दिवस लगभग सभी विकसित, विकासशील और तीसरी दुनिया के देशों में मनाया जाता है । यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक तरक्की दिलाने व उन महिलाओं को याद करने का दिन है, जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए अथक प्रयास किए हैं ।
भारत में महिला दिवस
भारत में भी महिला दिवस व्यापक रूप से मनाया जाने लगा है और धीरे-धीरे देश के सुदूर इलाके की महिलाएं भी इस दिवस के महत्व से वाकिफ हो रही हैं ।
महिलाओं के सम्मान में इस दिन कई तरह के समारोह आयोजित किए जाते हैं । राष्ट्र और समाज के विकास में महिलाओं के योगदान पर उन्हें सम्मानित किया जाता है । महिलाओं के लिए कार्य कर रहे सरकारी और गैर-सरकारी संस्थान इस दिन सेवा, अस्मिता, स्त्रीजन्म, सशक्तिकरण आदि विषयों पर सेमिनार आयोजित कर महिलाओं में जागरूकता लाने का प्रयास करते हैं ।
गौरतलब है कि भारत में महिलाओं को शिक्षा, समानता और शासन में भागीदारी जैसे मौलिक अधिकार प्राप्त हैं । धीरे-धीरे देश में महिलाओं के प्रति धारणा बदल रही है । महिलाओं की दशा में सकारात्मक बदलाव हुआ है, परिस्थितियां बदल रही है ।
भारत में आज महिलाएं न केवल सरकारी नौकरियों और शासन-प्रशासन के पदों पर काबिज हैं बल्कि वे आर्मी, एयरफोर्स, पुलिस, आईटी, इंजीनियरिंग और मेडिकल के क्षेत्र में भी कामयाबी की बुलंदियां छू रही हैं ।
हाल के वर्षों में खेल के क्षेत्र में भी महिलाओं ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रौशन किया है ।
वैसे तो सार्वजानिक जीवन, खेल और मनोरंजन जगत में महिलाओं की उपलब्धियों से पूरा देश वाकिफ होता रहता है । मीडिया में आए दिन महिलाओं की उपलब्धियों की चर्चा होती रहती है । परन्तु क्या आप जानते हैं कि विज्ञान के क्षेत्र में भी महिलाओं ने देश के विकास में अद्भुत योगदान दिया है ।
साथ ही अपने-अपने क्षेत्र में सफलता का परचम लहराकर देश की चार महिलाओं ने दुनिया की 100 शक्तिशाली महिलाओं में अपना स्थान बनाया है ।
इस ब्लॉग में हम उन्हीं महिलाओं की चर्चा करेंगे जो अन्तरिक्ष, विज्ञान, सुरक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में बिना किसी शोर-शराबे के देश के विकास में अहम् भूमिका निभा रही हैं तथा साथ ही उन महिला हस्तियों का भी उल्लेख करेंगे जो दुनिया की शक्तिशाली हस्तियों की लिस्ट में शुमार हैं ।
भारत की महिला वैज्ञानिक, जिन्होंने रचा है इतिहास
आपको जानकर हैरानी होगी की भारत के प्रमुख अन्तरिक्ष अनुसंधान केंद्र इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (इसरो) में 16000 से ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं । इनमें से कई महिलाएं वैज्ञानिक के तौर पर प्रमुख अन्तरिक्ष मिशनों में अहम् जिम्मेदारी निभा चुकी हैं और निभा भी रही हैं ।
यहां हम उन महिला वैज्ञानिकों की चर्चा कर रहे हैं जो दिखती तो हैं अन्य लोगों की तरह सामान्य परन्तु वैज्ञानिक प्रभाव इनकी खासियत में चार चाँद लगाता है ।
1.) रितु करडाल : ये इसरो में मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर हैं । उनके लिए चन्द्रमा हमेशा कौतुहल का विषय रहा है ।
दो बच्चों की माँ होने के बावजूद ये अपना अधिकतर समय इसरो में अनुसंधान में बिताती हैं, बचपन से ही अन्तरिक्ष विज्ञान के बारे में सोचते और पढ़ने के बाद आज वह इसरो के जाने-माने मिशनों में से एक मंगलयान मिशन की प्रमुखों में से एक हैं ।
2.) अनुराधा टी. के. : ये जियोसेट प्रोग्राम डायरेक्टर के तौर पर इसरो में सबसे वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं । स्टूडेंट्स लाइफ में तार्किक विषयों में रूचि के चलते ये वैज्ञानिक जैसे कठिन पेशे में सफल रही हैं ।
उनका मानना है कि इसरो एक ऐसा संस्थान है जहाँ पुरुष और महिला में कोई भेदभाव नहीं है, सभी यहां केवल अपने मिशन और उसकी सफलता के बारे में सोचते हैं ।
3.) मौमिता दत्ता : कोलकाता विश्वविद्यालय से प्रायोगिक भौतिक विज्ञान में एम. टेक. की डिग्री लेने के बाद मौमिता ने इसरो को ज्वाइन किया और आज वह मंगलयान मिशन में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं ।
इसी के साथ उन्हें ‘मेक इन इंडिया’ के तहत प्रकाश विज्ञान के क्षेत्र में विकास के लिए बनाए गए टास्क फ़ोर्स के प्रतिनिधित्व की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है ।
4.) एन. वलार्माथि : तमिलनाडू की रहने वाली 52 वर्षीय वलार्माथि देश की ऐसी पहली महिला हैं जो इसरो की रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट मिशन की प्रमुख रही हैं । इसके साथ ही देश के पहले देशी राडार इमेजिन उपग्रह रिसेट वन की लॉन्चिंग का प्रतिनिधित्व भी वलार्माथि ने किया है ।
5.) मीनल संपत : ये इसरो के मंगल मिशन की सक्रिय सदस्य रही हैं । संपत इसरो की सिस्टम इंजीनियर के तौर पर 500 वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करती हैं । संप
त के बारे में कहा जाता है कि उनका अपने काम और लक्ष्य के प्रति इतना जूनून है कि वे रविवार और अन्य शासकीय अवकाशों के दिन भी अपने काम में जुटी रहती हैं ।
6.) अग्निपुत्री टेसी थॉमस
भारत में महिला सशक्तिकरण और महिलाओं की उपलब्धियों पर चर्चा करने के दौरान अगर रक्षा शोध संस्थान डीआरडीओ में कार्यरत महिला रक्षा वैज्ञानिक टेसी थॉमस का नाम न लिया जाय तो सारी चर्चा ही अधूरी मानी जाएगी ।
टेसी भारत की वह मिसाइल वीमेन हैं जिन्होंने अग्नि-4 और अग्नि-5 मिशन में प्रमुख भूमिका निभाई है । वह डीआरडीओ में घातक मिसाइलों के विकास में तकनीकी विशेषज्ञ की अहम् जिम्मेदारी निभाती हैं ।
फाइनेंस और बिज़नस के क्षेत्र में उपलब्धियां
भारत की महिलाओं ने न केवल विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में बल्कि फाइनेंस और बिज़नस के क्षेत्र में भी दुनियाभर में डंका बजाया है । यही कारण है कि प्रतिवर्ष फोर्ब्स द्वारा जारी दुनियाभर की 100 शक्तिशाली महिला हस्तियों की सूची में चार-पांच नाम भारतीय भी होते हैं ।
इन भारतीय महिलाओं में कुछ नाम तो ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से इस सूची में अपना स्थान बनाते रहे हैं ।
1.) अरुन्धति भट्टाचार्य : ये भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन रही हैं । एसबीआई के दो शताब्दियों के इतिहास में सर्वोच्च पद पर पहुँचने वाली अरुन्धति देश की पहली और एकमात्र महिला हैं जो केवल फोर्ब्स की सूची में ही नहीं फार्च्यून 500 की सूची में भी अपना स्थान बना चुकी हैं ।
2.) चंदा कोचर : भारत के निजी क्षेत्र के बैंक आईसीआईसीआई की ये सीईओ एवं प्रबंध निदेशक हैं । वर्ष 1993 में एक कोर टीम मेम्बर के रूप में आईसीआईसीआई बैंक में शामिल चंदा कोचर 1994 में प्रमोशन पाकर बैंक की महाप्रबंधक बनीं । कोचर पिछले कई वर्षों से फोर्ब्स की लिस्ट में अपना स्थान बना रही हैं ।
3.) शोभना भरतिया : ये भारत के सबसे बड़े मीडिया हाउस में शुमार हिंदुस्तान टाइम्स समूह की चेयरपर्सन हैं । हिंदुस्तान मीडिया समूह में फाइनेंसियल और सम्पादकीय दखल रखने वाली शोभना ने 1986 में हिंदुस्तान ग्रुप में प्रवेश किया था ।
शोभना ने अपनी दक्षता और कुशलता से हिंदुस्तान टाइम्स समूह को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है । इसी का परिणाम है कि ये भी पिछले कई वर्षों से फोर्ब्स की लिस्ट में अपना स्थान बनाती रही हैं ।
4.) किरण मजूमदार शॉ : ये बायोकोन कंपनी की अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक और सिनजिन इंटरनेशनल व क्लिनिजिन इंटरनेशनल लिमिटेड की अध्यक्ष हैं ।
वर्ष 1978 में अपनी आरंभिक पूंजी 10 हजार यूरो के साथ बंगलौर में किराए का मकान लेकर गैरेज में बायोकोन की शुरुआत करने वाली किरण ने अपने व्यवसाय को तरक्की की नई ऊँचाई तक पहुंचा दिया है । परिणामस्वरूप किरण आज फोर्ब्स की शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल हैं ।
कहना गलत नहीं होगा कि आज भारत की महिलाएं महिला सशक्तिकरण की नई इबारत लिख रही हैं । ज्ञान-विज्ञान से लेकर व्यवसाय, खेल, मनोरंजन, राजनीति जैसे क्षेत्र में भी देश की महिलाएं दुनियाभर में अपना परचम लहरा रही हैं । हालाँकि इतनी सफलता के बावजूद भारत में महिला सशक्तिकरण की दिशा में बहुत कुछ किया जाना बांकी है ।
घरेलू हिंसा, बलात्कार, रुढ़िवादी परिवारों में पुरुषों के मुकाबले असामनता ऐसे कटु सत्य हैं जिससे देश और समाज अभी भी जूझ रहा है । इससे मुकाबला करने के लिए शिक्षा का प्रसार ही एकमात्र उपाय है ।
वास्तविक मायने में महिला दिवस तभी सार्थक होगा जब विश्वभर में महिलाओं को मानसिक व शारीरिक रूप से पूर्ण आजादी मिलेगी । समाज के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनके नजरिये को समझा जाएगा । तब उसे अफ़सोस नहीं होगा कि उसने पुरुष के रूप में जन्म क्यों नहीं लिया और गर्व से कह सकेगी कि वह जगत जननी है ।